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शिक्षा : व्याख्या, स्वरुप और सत्यता

  शिक्षा : व्याख्या, स्वरुप और सत्यता

              शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जिसमे मानवी जीवन को सफल बनाने का अगणित सामर्थ्य है | एक पशु से पशुपति करने का विलक्षण सामर्थ्य शिक्षा में है | शिक्षा मानवी जीवन में कभी ख़त्म नहीं होती | बल्कि शिक्षा मानवी जीवन में हर एक मोड़ पर अलग ही स्वरुप धारण कर लेती है | मानवी लालसा कभी भी शिक्षा ख़त्म नहीं होने देती | हर मनुष्य अपने जीवन में छोटा या बड़ा, गुरु या शिष्य, अपना हो या पराया हर एक से बहोत कुछ सीखता है | इसलिए कहा जाता है की, शिक्षा किससे प्राप्त की जय इसकी कोई सीमा नहीं है | ईस जगत में हर कोई प्राणी हमें सिखाता है | शिक्षा से मानवी जीवन में विनम्रता, होशियारी , शांति,समाधान, व्यवसाय, नोकरी का निर्माण भी होता है और उसका रास्ता भी तय होता है | परन्तु विटंबना की बात यह है की. जब हमें यह शिक्षा का अर्थ समज नहीं आता है तब हमारे जीवन में यही शिक्षा बहुत सरे सवाल खड़े कर देती है | शिक्षा से मानव में से उसकी मानवता जागृत होनी चाहिए; अत: मानव में से मानवता जरूत रखनेवाली कला या माध्यम को ही शिक्षा कहा जाता है |

           "शालेय किताबो में दिया गया ज्ञान और अनुभव को मानवी जीवन में उपयोग में लाना शिक्षा कहलाता है |"

           "पुस्तकों में दिया गया अभिभावो को पूरी निष्ठां से ग्रहण करके उसका प्रयोग अपने निजी जीवन में सफलतापूर्वक करना ही शिक्षा कहलाता है |"

           "जो माध्यम अपने जीवन चरितार्थ का साधन उपलब्ध करता है और अपने जीवन में आगे बढ़ने में सहयोग करता है उसे शिक्षा कहते है |"

             "बहोत सारी डिग्रिय प्राप्त कर लेना शिक्षा नहीं है बल्कि बिना डिग्री के मानवतापूर्वक व्यवहार आना ही शिक्षा सही परिभाषा है |"

             "जो हमारे जीवन में घटित होता है ओ किताबो में नहीं पढाया जाता, और जो किताबो में पढाया जाता है ओ हमारे जीवन में घटित होता नहीं, बस इसी दोनों दौर को आपस में मिलाने का अर्थ ही सही शिक्षा है |"

             जो शिक्षा हमें अपने जीवन को सफल बनाने में कम न आए ओ शिक्षा लेना ही व्यर्थ है | जीवन एक अनमोल चीज है जो दोबारा हमें नहीं मिलेगी | इसलिए इसका सही अर्थ समजने के लिए शिक्षा बहुत जरुरी है | एक शिक्षित मनुष्य जब अलग व्यवहार करने लगता है तब समज जाना की अब उसकी शिष्टाचार की परिसीमा पूरी हो चुकी है | और ऐसे लोग फिर समाज को भी उतने ही घातक होते है जितने की कोई देशद्रोही हो | कोई भी देश जब तक उसकी अर्थव्यवस्था में शिक्षा और विज्ञान को सही न्याय नहीं दे पाता तब तक उस देश की हालत कभी नहीं सुधर सकती | हमारे विचार ही ऐसे होने चाहिए की जो समाज परिवतन के लिए कम आए | एक शिक्षित व्यक्ति कभी भी अपना और अपने देश का अहित नहीं करेगा | और जो अपनी शिक्षा का गलत तरीके से इस्तेमाल करेगा ओ व्यक्ति को त्याग करना ही देश के हित में है | अन्यथा वह व्यक्ति पुरे देश और समाज को एक किड के भाती धीरे धीरे समाप्त कर देगा | 

              अपना चरित्र बनाने में शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | आत्मसन्मानपूर्वक जीने का एक प्रभवि माध्यम शिक्षा है | जीना और जीने देना का अभिप्राय शिक्षा का मतलब है | शिक्षा अपने विचारो को एक नइ दिशा प्रदान करता है | देश के हर एक क्षेत्र में शिक्षा का अनमोल हिस्सा होता है | राजकारण, समाजकारण, अर्थ, जाती , धर्म ऐसे कई सरे क्षेत्र है जिसे एक नयी दिशा के सुर ले जाने का सामर्थ्य शिक्षा में है | हम विकसनशील देश के वासी कहलाते है | और हमें यह विकसनशील शब्द निकलना है तो हमें हमारी शिक्षा का सही उपयोग करना चाहिए | शिक्षा का मतलब सिर्फ नोकरी पा लेना ही नहीं है | शिक्षा से हमें मान - सन्मान के साथ जीने का और दूसरो का मान बढ़ाना भी सामर्थ्य मिलता है | 

          परन्तु आज बहुत सारे शिक्षित जब गलत रस्ते पर मै देखता हु तब मुजे बहुत दुःख होता है | देश के युवा को अपना योगदान देश के विकास में देना होता है और आज यह युवा देश के राजकारण खेलने में इतने मशहूर हो गए है की इसे यह भी बहन नहीं है की हम सत्य के मार्ग से भटक चुके है | शिक्षा  में राजकारण विषय होना बहुत ही जरुरी है परन्तु शिक्षा में राजकारण खेलना बहुत ही खतरनाक साबित होगा | आज बड़े बड़े युनिव्हर्सिटीज में ड्रिंक करना, स्मोकिंग, रँगिंग, सेक्सुअलिटी, प्रेम, धोखा, गुंडागर्दी, राजकीय दबाव, शिक्षक को अपमानित करना, अपना हुक्म चलाना, शिक्षक की प्रतिमा को कलंकित करना, शोर्ट ड्रेस पहेनना, जरूरत से ज्यादा एकदूसरे के नजदीक आना और उसमे कोई अपने ऊपर आए इसके पहले दुसरे पर प्रत्यारोप करके उसकी जिंदगी बर्बाद करना, मार्क्स के लिए दुर्व्यवहार का सहारा लेना, किसीके मज़बूरी के फायदा लेना, जरूरत से ज्यादा वैज्ञानिक संसाधनों का इस्तेमाल होना अदि अनेक कारण आजके शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है | हमारे रास्त्र निर्माण में यह कितना हानिकारक तथा फायदेमंद है इसका विचार करना बहुत ही जरुरी है | और यह शिक्षा व्यवस्था सिर्फ कागज के पन्नो पर ही प्रगतिशील है | क्योंकि इसका असली रूप कुछ और ही है | जिसकी लायकात नहीं है आज ओ भी अपने पैसो के दम पर शिक्षा व्यवस्था में सामिल हो गया है और जिसके पास टैलेंट है आज ओ पैसे की वजह से पीछे रह गया | आज की शिक्षा व्यवस्था का रूप बदलने में यह जो वास्तवता है इसके उपर कोई ध्यान नहीं दे रहा और कागज के टुकड़े हात लेकर हम शिक्षित होने का ढोंग रच रहे है | जब भी सत्यता प्रगट होती है तो कड़वाहट होती है परन्तु हम सत्यता से कैसे मोड़ ले सकते है | क्योंकि सत्य आज नहीं तो कल सामने आनेही वाला है | देश के भ्रष्टाचार को भी हम ने ही जन्म दिया है और मिटाना भी हमें ही है | परन्तु ध्यान रहे यह भ्रष्टाचार भी सिर्फ कागज के पन्नो पर दीखाने के लिए नहीं मिटाना है | हमारे देश में संसाधनों की कमी नहीं है बल्कि कमी है तो यह की उसके उपयोग सही तरीके से होता नहीं है | 

              मित्रो राजकारणी नेता कभी नेता से कार्यकर्ता तक उसका प्रवास नहीं करता है ; परन्तु हम है की उसके पीछे इसलिए घूमते है की हमरा भी नंबर उसमे आये | परन्तु ऐसा कभी नहीं होता है हमारे कई पीढ़िय सिर्फ कार्यकर्त्ता होने में ही समाप्त हो जाती है | अगर खुर्ची नहीं मिले तो नेता पक्ष बदल लेता है और अपनी मिलकत का स्त्रोत चालू राखता है | याने की अपनी निष्ठां उस मंजिल तक ही उस पक्ष पर होती है जब तक ओ उसी पक्ष में कोई न कोई पैड पर होता है | तो बात यह है की हम हमारी शिक्षा का प्रयोग ऐसी राजनीती में क्यों व्यस्त करते है | अगर ईस देश के प्रति इतनी ही अच्छी भावना आपके मन में है तो एक जिम्मेदार अधिकारी बनकर ओ अभिलाषा पूरी हो सकती है | 

               अंत में यही कहना चाहूँगा की, देश की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए हमें गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर भार देना होगा | सिर्फ संख्यात्मक खेलो से या संख्यात्मक विकास से नहीं चलेगा | हम वृक्ष को पानी तो दे रहे है लेकिन ओ उसके पास कितना पहुँच रहा है यह ज्यादा महत्वपूर्ण है | स्कुलो में पढाया जाने वाला अभ्यास बच्चो को उसकी भाषा में पढाया जाना जरुरी है | क्योंकि भाषा उसकी शिक्षा का मूल्यमापन नहीं करती है बल्कि यह महत्वपूर्ण है की उसे वह भाग किस प्रकार समज आया है | बच्चो को उसकी रूचि के नुसार अभ्यास करने दीजिये | उसपर अधिक बोझ देकर अप कोई भी मंजिल हासिल नहीं कर सकते है | इसलिए उसका रास्ता उसे ही ढूंढने दे | हमारी जिम्मेदारी सिर्फ उसे सही रास्ता दिखाना और मार्ग में आये बाधाए दूर करना है | शिक्षा का सही मतलब समजकर उसमे सुधार लाना समय के नुसार बहुत जरुरी है 

             मेरा यह वैयक्तिक मत है | इससे सभी सहमत होंगे यह नहीं हो सकता | लेकिन वास्तवता को सामने रखकर इसपर विचार करे और अपना मत कमेन्ट बॉक्स में जरुर प्रकट करे | मै आपके अभिप्रायो का दिलसे स्वीकार करता हूँ | और मेरे ब्लॉग वेबसाइट को फ़ॉलो करे | क्योंकि यह पोर्टल पर आपके हर इच्छा का समाधान देने का मैंने प्रयास किया है | और आगे भी यह प्रयास जरुर करूँगा | परन्तु आपका सहयोग प्रार्थनीय है | धन्यवाद !

   लेखन 
श्री योगेश आर. जाधव 
HSC शिक्षक और लेखक.

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