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राजनेता की पात्रता

  चुनाव में जितना ही राजनेता की योग्यता : एक राजकीय चिंतन

            भारत एक विशाल देश है, जहा लोकशाही शासन व्यवस्था है | जनता ने जनताद्वारा जनता के लिए चलाया जाने वाला शासन मतलब लोकशाही शासन प्रणाली | लोकशाही प्रणाली में चुनाव को बड़ा महत्व होता है | चुनाव इसलिए लिया जाता है की उसी चुनाव से लोग अपना योग्य प्रतिनिधि चुन सके | लोकप्रतिनिधि का मतलब होता है लोगो का नेतृत्व करने वाला | लोगो की हर समस्या को शासन या व्यवस्था के सामने रखकर उसे न्याय दिलाना | परंतु यह बाते केवल घटना बनाकर रह गयी है ऐसा आज प्रतीत होता है |

           लोगो का प्रतिनिधि कहलानेवाला आज अपनी टिकिट और खुर्ची के चक्कर में इतना फास गया है की वो खुर्ची न मिलाने पर अपना पक्ष भी बदल लेता है | अब बात यह है की जो अपना पक्ष या अपना कर्तव्य के प्रति एकनिष्ठ नहीं है वह अपना नेता कैसे हो सकता है ? जिसे खुद लिखना और पढना नहीं अत वो भी आज मरते दम तक अपनी खुर्ची नहीं छोड़ता | और गजब की बात यह है की अपने जाने से पहले अपनों को ही उसी खुर्ची पर चिपका जाता है | चुनाव में नेता का / प्रतिनिधि का कम और नेतृत्व देखकर उसे चुनना चाहिए | परंतु जनता अपना कर्तव्य भूल गयी है | और यह भी भूल गयी है की वोट का अधिकार हमारे संविधान ने दिया है किसी आपसी संबंधोने नहीं | बात यह भी समझनी हिगी की जिसे हमने चुना है वह अपना प्रतिनिधिक रूप में है | वो अपना मालिक नहीं सेवक कहलाता है | इसलिए अपना कम छोड़कर किसी नेतेगिरी के चक्कर में न आए | ताकि बाकि जीवन शांति से जी सके |

             मेरा किसी नेता को विरोध नहीं है परंतु मेरा अनुभव के नुसार सभी नेता की एक ही पात्रता है की “वो किसी प्रकार, साम-दाम-दंड- भेद करके चुनाव जीतकर आए |” यही उसकी योग्यता और यही उसकी ताकद समझी जाती है | जिस देश में ऐसे चुनाव हो वह देश कितनी प्रगति की दिश में आगे बढ़ सकता है यह आप स्वयं तय कर सकते है | मनुष्य अवश्य विचारशील प्राणी है परंतु उसने अपनी विचारशीलता किस दिशा में मोड़ दी है उसपर उसका परिणाम अवलंबून है | चुनावी क्षेत्र एक ऐसा मैदान है जहा सभी खेल अपने ताकद, पैसा, और चापलूसी के आधार पर खेला जाता है | यह खेल इतना खतरनाक होता है की जिसमे कई लोगो को जन से हात धोना पड़ता है | खुर्ची के लिए लड़ने वाले अक्सर आजतक मैंने बाते करते हुए और लोगो को बहलाकर हम कितने अच्छे है यह साबित करने में ही अपना पंचवार्षिक काल व्यतीत करते है | विरोधी पक्ष नेता भी कभी विकास के नाम पर एक नहीं होते | एक निर्णय लेता है तो उसे गलत साबित करने का दूसरा प्रयास करता है | हर एक चुनाव में कोई भी एक भावनिक विषय बनाया जाता है और धर्म, जाती के नाम पर मत मांगे जाते है | कई बार तो यह ख़रीदे भी जाते है | और ऐसे बीके हुए नेता से आप क्या अपेक्षा करते हो ?  इसीलिए वो लोगो का प्रयोग कर लेता है | अंत में विजय किसी की भी हो या पराजय हो आगे बढ़ता है और बड़ा होता है तो सिर्फ राजनेता | इसीलिए सच्चाई से हम बहुत दूर रहते है | और सोचने वाली बात यह है की हमारे बुध्दिजीवी लोग उसके  झेंडे हात में लेकर उसके लिए जन कुर्बान करने का पण लेते है | और जब बात देश के हित में जन देने की अति है तो यह सब गायब हो जाते है | तो फिर हम विकास की ओर बढ़ रहे या मार्ग ब्भात्क गए है यह सोचने वाली बात है |

            शिपाई पद पर विराजमान होनेवाला व्यक्ति भी आज परीक्षा पास होकर और डिग्री लेकर अता है | और उसपर कोई क़ानूनी कार्यवाही भी नहीं होनी चाहिए | ऐसी बहुत सारी पात्रताए होती है | और विचार करने वाली बात यह है की उसे चलानेवाला शासक का नेता अनपढ़ भी चलता है | उसपर हजार केसेस हो तो भी वो चुनाव लढ सकता है | वा रे मेरी शासन व्यवस्था | जिसे नहीं होना चाहिए वो आज देश का नेतृत्व कर रहा है और जो उसके लिए पात्र है वो गाव में दुसरे की खेती कर रहा है, मजदूरी कर रहा है | देश आज भी सुजलाम सुफलाम हो सकता है परंतु उसे कोई करना नहीं चाहता | क्योंकि जब पूरी जनता सुखु हो जाये, कोई समस्या ही बाकि न हो तो राजनेता उसकी राजनीती कैसे चलाएगा? इसलिए अपनी खुर्ची, टिकिट साबित रखने के लिए लोगो को आपस में लगा देते है, तो कोई दंगा, उत्पात मचाते है और बाद में वही समजदारी का माहोल बनता है | कैसी राजनीती है ? सभी की समस्या मिट जाए तो हमें सन्मान देने वाला, हमरे गले माला डालने वाला, हमरे पीछे घुमाने वाला, हमारी जयजयकार करने वाला कोई नहीं रहेगा | इसलिए यह सोचिसमजी राजनीती की जाती है  वर्ना कौन कहता है की हमारा देश गरीब है ? उसे गरीब रखने में यहाँ के शासको का हात होता है | और बात यह है की हम सच्चाई को छोड़कर किसी और भटक जाते है | मित्रो मेरा यह कथन किसी को दोषी देने की लिए नहीं है बल्कि अपना भटका हुआ ध्यान सही दिशा में लाने के लिए है | आपको भी यह देश का कल्याण हेतु है और मेरा भी | इसीलिए क्यों न हम साथ चलकर सही दिशा में आगे बढे ?

यह विचारधारा को आगे बढकर सही दिशा में जाने का सहयोग करे |

धन्यवाद !

- योगेश जाधव 

शिक्षक, लेखक, ब्लॉग राईटर 


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