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मानवी जीवन की संघर्षता में शिक्षक का स्थान

  मानवी जीवन की संघर्षता में शिक्षक का स्थान

              मानवी जीवन में हर मोड़ पर संघर्ष ही संघर्ष है | संघर्ष के बिना जीवन अधुरा है | ईस संघर्ष के दौरान हमें मार्गदर्शन के रूप में हमारे जिंदगी में दो गुरु महत्वपूर्ण होते है | एक गुरु होता है हमारे माँ-बाप और दूसरा गुरु होता है हमें पढ़ने वाले शिक्षक | दुनिया के कोई भी मैडल हो वह हासिल करने में उसके गुरु की अहम भूमिका होती है यह त्रिकालवादी सत्य है जो हम समय के प्रवाह में भूल जाते है | आजके सभी अधिकारी, राष्ट्रपति, प्रन्ताप्रधन से लेकर कोई भी पदाधिकारी शिक्षक व्द्वारा निर्मित एक प्रतिमा होती है | इसीलिए चाणक्य ने कहा था की “शिक्षक कभी साधारण नहीं होता; प्रलय और विकास दोनों उसके गोद में पलते है |”

            शिक्षक बुरे से बुरे व्यक्ति में से भी एक अच्छा इन्सान बनाने की क्षमता रखता है | गुंडे से लेकर पदाधिकारी और दुनिया का हर शिक्षित यह शिक्षक द्वारा निर्मित मुर्तिया है | इसलिए वो यह सभी के प्रति एक जिम्मेदार व्यक्ति है | मेरे कहने के नुसार शिक्षक यह सबके लिए जिम्मेदार है | इसका मतलब दुनिया के हर प्रकोप के लिए शिक्षक को गुन्हेगार मानकर शिक्षा देनी चाहिए यह नहीं | यह कदापि उचित नहीं है की शिक्षक की प्रतिमा की अवहेलना की जाए | जैसे पानी एक ही है | परंतु वो मिर्च को गया तो वो तिखट हो गई | वो करेला को गया तो वह कडवा हो गया | गन्ने को गया तो उसमे मधुर रस भर दिया | इसमे पानी का दोष नहीं है | दोष है तो उसका गुण और अवगुणों का | उसकी बिजवाई का | इसलिए शिक्षक ने ज्ञान तो सभी को एक जैसा ही दिया | परंतू कोई ने उसका सही इस्तेमाल किया तो कोई ने गलत | इसलिए वो खुद उसके कतृत्व के घडण में जिम्मेदार होता है | शिक्षा का सही मतलब होता है की, स्कूली किताबो में पढाया जाने वाला ज्ञान का अपने व्यवहार में सही इस्तेमाल करने की कला|” किताब हर कोई पढ़ लेता है तो भी हम शिक्षक के पास जाते है , क्योंकि वह पढ़ने से महत्वपूर्ण है उसे समझना | और यह कार्य शिक्षक करते है |

                शिक्षक कभी किसी धर्म या जाती का नहीं होता है | वो कभी एक ही बच्चे को नहीं पढाता है | उसके पास तो कई धर्म. जाती के बच्चे पढ़कर बढे होते है | अपनी जिंदगी में ऊंचाई हासिल करते है | इसलिए शिक्षक सदा ही वन्दनीय है | आदरणीय है | लेकिन यह बात हम समझते नहीं या तो उसे सही समझना नहीं चाहते | मैंने मेरे शिक्षक काल में आज तक ऐसे कई अनुभव देखे है की माँ-बाप अपने बच्चे को कोई टीचर ने पनिशमेंट कर दी तो तुरंत भागकर वह शिक्षक को अपने ही बच्चे के सामने डाटने लग जाते है | तो ईस घटना से उसी बच्चे के बदले शिक्षक की निराशा हो जाती है या फिर वह बच्चा यह समझने लगता है की मैंने कुछ भी किया तो मेरे माँ-बाप है ही संभालने के लिए | लेकिन हम भूल जाते है की यह अपनी हरकत अपने बच्चे की जिंदगी बिघाड भी सकती है | हम यह भी समझना भूल जाते की इसे जिस टीचर ने पनिशमेंट की है वह गलत है या नहीं | इसमें किसी का कोई नुकसान नहीं होता, बस उस बच्चे को छोड़कर | शिक्षक का कोई दुश्मन नहीं या कोई मित्र, धर्म, जाती नहीं होती | गुरु गरु ही होता है | जिसका मूल्य हम अपने जिंदगी में नहीं उतार सकते है | समानता, धर्म जाती भेदभाव न करना, उसका सही मतलब समझाने का कार्य शिक्षक अपने आचरण और पढाई से बच्चे के मन में उतारता है |

              समाज में ऐसी भी मान्यता है की शिक्षक जो पढाता है उअसके लिए वो वेतन भी लेता है | तो उसका क्या एहसान है हम पर ? इसी प्रश्न का उत्तर यह है की दिनिया का कोई भी आदमी चाहे कितना भी आमिर क्यों न हो लकिन कुछ चीजे ऐसी है जो हम कभी नहीं खरीद सकते है | बस उसी चीज में टीचर का समावेश होता है | जैसे की, जब बच्चा अच्छे गुण प्राप्त कर लेता है तब माँ जाकर अपने हात में शक्कर लेकर बच्चे का मुह मीठा करती है | तो बताओ मित्रो दुनिया की कोनसी तकाद है जो ईस प्यार को खरीदने की बोली लगता हो ? जरुर इसका उत्तर आपको नहीं मिलेगा | उसी तरह एक शिक्षक अपने बच्चे को घर छोड़कर दुसरे के बच्चे आगे जाये, पढ़े - लिखे और अपने माँ - बाप का सर ऊँचा करे, अपना नाम ईस दुनिया में रोशन करे इसीलिए अपने जीवन का अमूल्य समय कुर्बान करता है | इसके लिए वो कभी भेदभाव नहीं करता | अपने काम में कभी कसूर नहीं रखता | सारे बच्चे एक्जैसे नहीं होते कुछ सैतानी भी होते है | जो अपने घर में भी संभालना मुश्किल होता है | ऐसे सभी बच्चो को साथ लेकर अपना लक्ष्य की और ले जाता है तो क्या आप ईस टीचेर की किंमत सिर्फ पैसे से लगाना चाहोगे ? जिसने कभी अपना महत्त्व बढ़ाने के लिए जिंदगी में कुछ नहीं किया | जिसने अपना और अपने कुटुंब के सुख त्याग कर एक त्यागी जीवन बिताया | ऐसे सारी बाते जो यहाँ सभी नहीं लिखा जा सकती है वो सभी क़ुरबानी के लिए शिक्षक का / गुरु का अपने जीवन में मोल लगाना उचित नहीं है | अतः शिक्षक इतना साधारण भी नहीं होता की जिसकी तुलना सिर्फ पैसो से की जाए |

            दुनिया की हर तकाद जहाँ ख़त्म होती है वही से कलम अपनी ताकद दिखाना शुरू करती है | और यह कलम चलाना हमें अपने शिक्षक / गुरु सीखता है | इसलिए शिक्षक का महत्त्व हमारे जीवन में अनन्य साधारण होता है | इसीलिए उसका मूल्य हम पैसो से नहीं लगा सकते है | यह बात समझने की कोशिश करे और समाज में जो आज शिक्षक की और देखने का दृष्टिकोण है वो बदलने की चेष्टा करे | क्योंकि जब जब इतिहास में संकट का समय आया है तब एक शिक्षक और वैज्ञानिकोने ही सभी समस्या का हल बताया है जो आजकी दुनिया का अस्तित्व का साक्षीदार है | मेरा कथन किसी की इमेज बढ़ाना या मेरा खुद का मूल्य बढ़ाना नहीं है बल्कि इस दुनिया में जो गुरु का महत्त्व हम भूल गए है उसे जगाना है | हमारे जीवन के मार्गदर्शक सभी गुरु के चरणों में हमारा सैदेव मस्तक झुका ही रहेगा | क्योंकि जिसने खुद उसी जगह पर रहकर हमें कलम उठाने के काबिल किया | जिसने हमारा जीवन बनाने की कोशिश हमेशा की | ईस दुनिया के सभी शिक्षक एवं गुरु को सादर प्रणाम |

         अगर आपको मेरा कथन मन से सही लगता है तो अपने जीवन में छोटा हो या बड़ा सभी गुरु का धन्यवाद करे |

धन्यवाद !

-योगेश जाधव

शिक्षक, लेखक, ब्लॉग कन्टेन राईटर.

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