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राजधर्म का अर्थ ही प्रजारंजन और प्रजाहित है

देश बेचने के लिए राज्यकर्ता से अधिक सामान्य नागरिक जिम्मेदार है |
क्योंकि 
राजधर्म का अर्थ ही प्रजारंजन और प्रजाहित है |


           मित्रो,किसी भी देश की सत्ता सही हाथो में जाए तो उस देश का कल्याण निच्शित है | क्योंकि जिस देश का राजा सतर्क, बलवान, बुध्दिवान हो उस देश का भविष्य हमेशा ही उज्वल होता है | राजा का कर्त्तव्य हमेशा के लिए प्रजारंजन और प्रजाहित ही होता है अतः होना चाहिए | यही सदियों से चलता आया है | एक सामान्य नागरिक का कर्तव्य है की, वह अपने बीबी , बच्चे , माता ,पिता और सगे सबंधी का ख्याल रखे | उनकी जरूरतों को पूरा करे | उनकी निजी जरूरतों का पुनर्भरण ही उसका लक्ष्य होता है | परन्तु एक सामान्य नागरिक जब राजा बन जाए तो उसका कोई भी कार्य निजी जरुरतो से नहीं जुड़ा होता है | उसका कोई भी कार्य स्वयम का मनोरंजन अथवा एशोआराम नहीं रह जाता | उसका हर कार्य प्रजा हित और प्रजा रंजन से जुडा होता है | एक राजा को प्रजा जिस कार्य से खुश हो वही करना होता है | प्रजा का दुःख और सुख में उसे सामिल होना पड़ता है | अतः राजा का राजधर्म ही उसे तटस्थता से कार्य करने के लिए कहता है | उनके बीबी, बच्चे और रिश्ते नाते यह सब राजा के लिए होता तो है लेकिन वह उसके हितेषी निर्णय करके कोई पक्षपात नहीं कर सकता | राजधर्म के नुसार न्याय के दृष्टिकोण से सभी रिश्तेदार राजा के लिए एक प्रजा सामान होता है | 
            रामायण में भी हमने देखा है की, श्रीराम को अपनी भार्या देवी सीता पर कोई संदेह नहीं था | वह पवित्र है यह श्रीराम भी जानते थे | लेकिन प्रजा के कहने पर श्रीराम ने उसे त्याग दिया था | ईस विषय में धार्मिक कहानी से देखा जाए तो पत्नी वियोग का दुःख विष्णु को ऋषियो के श्राप के कारण भुगतना पड़ा था | यहाँ यह जानना जरुरी है की, खुद के रिश्ते सबंध से प्रजारंजन एवं राजधर्म श्रेष्ठ है | राजधर्म का पालन ही राजा का मुख्य लक्ष्य है | और जहाँ राजधर्म आया, वहा खुद राजा कौनसी बात पर खुश है? इससे अधिक प्रजा कौनसे कार्य से अधिक खुश है ? यह महत्वपूर्ण होता है |


            मेरे कथन का शीर्षक देखकर आपको लगता हो की देश बेचने के लिए सामान्य नागरिक कैसे जिम्मेदार है ? परन्तु यही सत्य है | हमें सभी सुविधा कोई काम करे बिना और मुफ्त में चाहिए | और इसमे ही हमें आनंद आता है | नोकरदार को कम काम और पगार ज्यादा चाहिए | किसान को बिना काम करे वेतन चाहिए | सभी जरुरी चीजे मुफ्त में मिलना चाहिए यह लालसा सभी के मन में होती है | एक दुसरे के प्रति इर्षा और द्वेषभाव भरा पड़ा है| अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आंदोलनों, मोर्चा और ऐसे बहुत कुछ करके हम अपने मन के मुताबिक कार्य करने के मजबूर करते है | अपने जेब से जो महसूल लिया जाता है उसमे हम चोरी करते है | प्रमाणिकता से कोई काम नहीं करना चाहते है | क्योंकि देशहित से अधिक अपना निजी हित ज्यादा महत्वपूर्ण लगता है | देशहित की सिर्फ बाते होती है | लेकिन उसका अनुसरण कोई करना नहीं चाहता | ऐसे राज्य एवं देश का कारभार चलने के लिए सिर्फ चार पर्याय होते है - 1)महसूल में वृद्धि करना |  2) देश की सार्वजनिक सपत्ति को नीलम करना एवं खानगीकरन करना |  3) देश की सार्वजनिक संपत्ति बेचकर जरूरतों को पूरा करना | 4) ऋण लेना | 


               हम सभी देशवासी यही सभी बातो का विचार करते ही नहीं है| सिर्फ किताब के पन्नो में रहकर देश नहीं बदला जा सकता | उसे अपने आचरण में भी लाना पड़ता है | सभी राज्य का और देश का राजनैतिक और सामाजिक अंगो का अध्ययन करे तो आपको पता चलेगा की हमारे निजी हित के लिए अथवा मनोरंजन के लिए, हमें जिसमे आनंद आता है वही चीजे करने के लिए सभी राजनैतिक दलों और पार्टी के नेता सक्रीय है | कोई हमें मुफ्त की खाने की आदत लगाता है तो कोई हमें हमारी जरूरतों की पूर्ति करने का वचन देता है | भले ही उसके लिए देश बेचना पड़े | आय से अधिक योजनओं में खर्चा बढ़ता जा रहा है | आय से अधिक खाने वालो की संख्या बढती जा रही है | तो ऐसी स्थिति में देश की उन्नति कैसे संभव है ? भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र वाला देश है | जहा लोग खुद अपने द्वारा अपना शसन चलते है | वही देश में देशहित बाजु में रखकर अपने निजी हित की बात करने वाले लोग जन्म लेते है तो देश का विकास कैसे संभव है ? अतः यह सिध्द होता है की देश बेचने के लिए राज्यकर्ता से अधिक सामान्य नागरिक जिम्मेदार है | 


              यह सब बातो और समस्या से छुटकारा पाने के लिए हमें मुफ्त में खाने की आदतों से दूर रहना चाहिए | कोई भी चीजे मुफ्त में लेने की बजाए वह खरीदने की शक्ति की मांग करनी चाहिए | निजी हितो से अधिक देशहित में रूचि रखनी चाहिए | मानवता का धर्म ही श्रेष्ठ धर्म मानना चाहिए | एक दुसरे के प्रति आदर एवं प्रेम भाव रखना चाहिए | यही सर्वोत्तम नागरिक एवं देश का मुख्य आधार है | 

- योगेश जाधव 

शिक्षक, लेखक, कवि, ब्लॉग राईटर, यूट्यूबर

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